प्रदूषण मुक्त नंबर 1 राज्य बना उत्तराखंड
प्रदूषण मुक्त नंबर 1 राज्य बना उत्तराखंड
संदीप ढौंडियाल
देहरादून। कोविड-19 (कोरोना वायरस) के चलते पूरा विश्व इस समय लॉक डाउन की स्थिति में है। इस चाइनीस वायरस के कारण पूरे संसारिक रथ के पहिए मानो थम से गए हैं। समय चलायमान है तो वह आगे बढ़ ही रहा है। लेकिन इस दशा में भारत समेत पूरी दुनिया अपने घरों में कैद है। तमाम फैक्ट्रियां, कारखानों से लेकर गाड़ियां और निर्माण कार्य इस समय बंद पड़े हैं। जिससे धरती में मौजूद प्रदूषण का स्तर इतना घट गया है कि दिल्ली जैसे महानगरों में भी इस समय आकाश स्वच्छ और साफ नीला दिखाई देने लगा है। वहीं पूरे भारत में सबसे कम प्रदूषण और लगभग प्रदूषण मुक्त राज्यों में उत्तराखंड एकमात्र अग्रणी राज्य बना है। जहां इस समय प्रदूषण बस नामात्र का मौजूद है। भारत में बाकी राज्यों की बात करें तो इस समय भारत का कोई भी राज्य अत्यधिक प्रदूषित राज्यों की लिस्ट में मौजूद नहीं है। एक्यूआईसीएन डॉट ओआरजी के आंकड़ों की माने तो उत्तराखंड सबसे कम 13 अंकों के साथ भारत का नंबर एक प्रदूषण मुक्त राज्य बना है। उत्तराखंड एक पर्वतीय राज्य होने के कारण यहां का ज्यादातर हिस्सा जंगलों से घिरा हुआ है। जिससे यहां का प्रदूषण स्तर बाकी राज्यों की अपेक्षा बहुत ही कम है। साथ ही जनसंख्या के हिसाब से भी अब तक बहुत ज्यादा भीड़-भाड़ और अधिक कारखानों वाला प्रदेश नहीं बन पाया है उत्तराखंड। वहीं उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों के कुछ शहर अभी भी थोड़े प्रदूषित दिख रहे हैं। लेकिन आने वाले समय में लॉक डाउन के चलते इन तमाम शहरों का भी प्रदूषण से मुक्त होने की संभावना है। वहीं मुंबई, दिल्ली और कोलकाता जैसे महानगरों की हवा की गुणवत्ता में दशकों बाद इतना जबरदस्त सुधार देखने को मिला है। सोशल मीडिया में भले ही लोग इस चाइनीस वायरस को जमकर कोस रहे हैं और इस वायरस से बचने के उपाय और लॉक डाउन का पालन करने के लिए कह रहे हैं। लेकिन इस बीच प्रकृति को अपने पुराने स्वरूप में लौटते देख लोग खूब आनंदित भी हो रहे हैं। जिन सब के चलते लोग स्वच्छ आकाश से लेकर चांद सितारों की फोटो और वीडियो को जमकर शेयर कर रहे हैं। साथ ही सड़कों पर निर्भय होकर घूमते जंगली जानवरों की तस्वीरें भी इस वक्त सोशल मीडिया पर खूब पसंद की जा रही हैं। विकास की इस अंधी भागदौड़ में मानव जाति कहीं न कहीं प्रकृति से दूर होती जा रही थी। इस एकांतवास (क्वॉरेंटाइन) के बीच हमें प्रकृति को जानने और समझने का एक सार्थक प्रयास करना चाहिए।