माह-ए-रमजान में नेक बंदों पर नाजिल होती हैं रहमतें

मौलाना मशहूदुर रहमान शाहीन जमाली ने बताया रमजान माह में नेक बंदों पर अल्लाह की रहमतें नाजिल होती हैं। उन्होंने रमजान महीने के तीन महत्वपूर्ण अशरों के बारे में विस्तार से बताया।
सदर बाजार स्थित मदरसा इमदादुल इस्लाम के उपाध्यक्ष मौलाना मशहूदुर रहमान शाहीन जमाली ने बताया इस्लामिक कैलेंडर के नवां महीना रमजान का होता है। रमजान के पाक महीने में अल्लाह बंदों के लिए जन्नत के दरवाजे खोल देता है। रोजा अल्लाह का दिया नायाब तोहफा है। रमजान में अकीदतमंद खुद को अल्लाह के लिए समर्पित कर देता है। गुनाहों से बचकर पूरे माह रोजा रख इबादत कर बंदे अल्लाह को राजी करते हैं। अरबी शब्द रमजानुल मुबारक का अर्थ गुनाहों को जलाकर सवाब (पुण्य) कार्यों में लगा देने वाला महीना है।

रमजान के तीनों अशरों का अपना महत्व
रमजान माह के शुरुआती 10 दिन को पहला अशरा कहा जाता है। जिसमें अल्लाह अपने बंदों पर रहमतें नाजिल करता है। अगले 10 दिन दूसरे अशरे में अल्लाह अपने बंदों पर मगफिरत नाजिल करता है। जिसमें अकीदतमंद अपने मरहूम बुजुर्गों की मगफिरत की दुआ मांगते हैं। जबकि अंतिम 10 दिनों के तीसरे अशरे में अल्लाह अपने बंदों को जहन्नुम से आजादी अता फरमाता है। इसी पाक महीने में अंतिम सन्देष्टा नबी मोहम्मद साहब पर कुरआन नाजिल किया था। पवित्र कुरआन ए पाक नाजिल होने से रमजान महीने का महत्व और भी बढ़ जाता है।

 

जकात, खैरात और सदका देने का महीना
रमजान जकात, खैरात और सदका देने का महीना भी है। इसी माह में गरीबों की मदद करना अन्य महीनों से ज्यादा अच्छा माना गया है। जिससे गरीब लोग भी ईद का त्योहार हंसी खुशी से मना सकें।