लॉक डाउन कर सकता है नये अवसरों का सृजन
संदीप ढौंडियाल
देहरादून। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की ओर से राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में होम स्टे योजना कहीं न कहीं पलायन को रोकने और युवाओं को रोजगार मुहैया कराने की एक अच्छी पहल साबित हो सकती है। जिसमें अपने क्षेत्र के परंपरागत वास्तुशिल्प के आधार पर घर को तैयार कर पर्यटकों को रोकने की अच्छी व्यवस्था की जाती है। पर्यटकों को स्थानीय भोजन के साथ ही वहां की संस्कृति से रूबरू कराया जाना वाकई पर्यटकों को एक सुखद अहसास दिलाएगा। सरकार का यह अनूठा प्रयोग राज्य में पर्यटन से जुड़ी अपार संभावना और रोजगार की भी नींव रखने का काम करेगा। जिला पौड़ी गढ़वाल के डीएम धीरज सिंह गर्बयाल के विशेष प्रयासों से खिर्सू में तैयार बासा होमस्टे खासा चर्चा में रहा है। होमस्टे ने सैलानियों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित तो किया ही साथ ही पूरे क्षेत्र को भी पहचान और लाइमलाइट में रखने का काम किया है। पूरा विश्व इस समय कोविड-19 (कोरोना वायरस) से जंग लड़ रहा है। वहीं समाज में लॉक डाउन के बाद की स्थितियों में बहुत बड़ा फर्क़ देखने को मिलेगा। व्यवसाय के तरीके बदलेंगे साथ ही कुछ समय तक लोग भीड़ भाड़ में जाने से बचेंगे। ऐसे में जब तक कोरोना वायरस का कोई टीका या वैक्सीन नहीं बन जाती तब तक होटल्स को सेनेटाइज करना एक चुनौतीपूर्ण कार्य है। जबकि होमस्टे में मकान मालिक आसानी से अपने घर को साफ रख सकता है।
वर्तमान समय में कोरोना वायरस के चलते पहाड़ के युवाओं का रुझान वापस पहाड़ की ओर बढ़ा है। मौजूदा समय में अन्य राज्यों में कार्य कर रहे युवा येन केन प्रकारेण पहाड़ में अपने गांव पहुंच कर खुद को अधिक सुरक्षित महसूस कर रहे हैं। जिनमें से कई युवा अब अपने गांव में ही रोजगार ढूंढने या स्वरोजगार की सोचने लगे हैं। जिसमें एक बहुत बड़ा वर्ग शिक्षित युवाओं का भी है। ऐसे में पर्यटन एक मुख्य स्रोत हो सकता है पलायन को रोकने और युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने का। जिसमें होम स्टे योजना बहुत कारगर साबित हो सकती है। सरकार की ओर से तमाम योजनाएं हैं जो वर्तमान परिस्थितियों में ब्रह्मास्त्र साबित हो सकती हैं। वीर चंद्र सिंह गढ़वाली पर्यटन स्वरोजगार योजना हो या फिर होमस्टे योजना या 2 प्रतिशत ब्याज पर किसान ऋण योजना। इन सभी योजनाओं की सीधी पहुंच और सटीक जानकारी मिलने पर निश्चित ही युवाओं की ओर से इन कल्याणकारी योजना का लाभ उठाया जाएगा। लेकिन सरकार की इन तमाम अच्छी पहल को सरलता से युवाओं के बीच पहुंचाना उतना ही आवश्यक है जितना इस समय कोरोना की वैक्सीन का होना। जिसके लिए जरूरी है कि दफ्तरी फाइलों के झंझट को बेहद ही सरल बनाना होगा।
उत्तराखंड की सुंदरता और आस्था अर्थात पर्यटन और तीर्थाटन आने वाले समय के लिए मुख्य रोजगार के साथ ही अर्थव्यवस्था के लिए भी रीड की हड्डी साबित होगी। कर्णप्रयाग तक बिछायी जा रही रेलवे लाइन और ऑल वेदर रोड जैसी परियोजनाओं से सड़कों का निरंतर हो रहा सुधारीकरण प्रदेश के पहाड़ी दूरदराज क्षेत्रों तक सैलानियों की पहुंच बढ़ाएगा। जिससे स्थानीय लोगों को रोजगार के साथ ही कई नये कारोबार खड़े होंगे। वहीं व्यवसायिक दृष्टि से पहाड़ों की परंपरागत कृषि भी रोजगार के नए अवसर उत्पन्न करेगी। उत्तराखंड अपने शांति, शीतल और भव्य स्वरूप के लिए सदैव ही विश्वविख्यात आकर्षण का केंद्र रहा है। लोगों का यहां की प्रकृति, संस्कृति और समाज की ओर हमेशा से ही आकर्षण रहा है। विश्व में पर्यटन के क्षेत्र में हमारे देश का 40 वां स्थान है। भारत में पर्यटन के मामले में उत्तराखंड का शीर्ष 10 स्थानों में भी ना होना वाकई चिंताजनक बात है। यहां पर्यटक कुछ चुनिंदा जगहों तक ही सिमट कर रह जाते हैं। अंग्रेजी हुकूमत के समय बसाये गए मसूरी, नैनीताल, लैंसडाउन आदि जगह पर्यटक सीजन आते ही सैलानियों का भार सह नहीं पाते हैं। नतीजतन पर्यटक मायूस होकर अन्य राज्यों का रुख करते हैं। सरकार ने जरूर इस पर गंभीरता से विचार किया। जिसके बाद वन डिस्ट्रिक्ट वन डेस्टिनेशन जैसी महत्वपूर्ण योजना शुरू की गई। जिसका उद्देश्य है प्रत्येक जिलों में नये पर्यटक स्थलों को विकसित किया जाना। इसका सीधा सा गणित है कि परंपरागत पर्यटक स्थलों की भीड़ का भार कम होगा और नए पर्यटक स्थलों के चलते व्यवसाय में सुधार भी होगा। साथ ही नये पर्यटक स्थलों के बनने से आसपास के क्षेत्रों में भी कई पर्यटक स्थल विकसित होंगे।
हमें आशावादी होते हुए लॉक डाउन को फिल्म की कहानी का एक मध्यांतर समझते हुए पूरी ऊर्जा के साथ फिल्म के अंत की ओर बढ़ना होगा। निश्चित ही इस कहानी का एक सुखद अंत होगा। हमें इस निराशा के माहौल में भी वर्तमान परिस्थितियों को एक अवसर के रूप में देखना चाहिए।