महंत दुर्गादास की मांग को मिल रहा है तमाम साधु संतो और धर्म संस्थानों का समर्थन
देहरादून। हरकी पैड़ी ब्रह्म कुंड, सर्वानंद घाट से लेकर डैम कोठी और दक्ष मंदिर तक बहने वाली गंगा के भाग को मुख्य गंगा घोषित करने की श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन निर्वाण कुंभ मेला प्रबंधक महंत दुर्गादास महाराज जी की मांग को लगातार समर्थन मिल रहा है।
समर्थन देने वालों रविंद्र पुरी जी महाराज, जगतगुरु शंकराचार्य, हिन्दू सेना, अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा, अखिल भारतीय हिन्दू महासभा, विश्व महादेव मंदिर, आचार्य वल्लभ और व्यापार मंडल ने भी अपना समर्थन दिया है। इस पूरे मामले को लेकर श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन निर्वाण कुंभ मेला प्रबंधक महंत दुर्गादास महाराज ने कहा है कि इस विषय को लेकर वे सरकार से कई बार मांग कर चुके हैं। लेकिन हर बार सरकार का रवैया ढीला रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार इस विषय को लेकर जल्द नहीं जागी तो एक बहुत बड़ा आंदोलन सरकार की जड़े हिला देगा। उन्होंने कहा कि तमाम साधु-संत इस आंदोलन में कूदेंगें और सरकार को अपनी ताकत का एहसास कराएंगे। महंत दुर्गादास ने कहा कि कनखल से लेकर आगे प्रवाहित होने वाली गंगा के साथ ही तमाम पुराने घाटों में प्रवाहित होने वाली गंगा को भी मुख्य गंगा ही माना जाए।
महंत दुर्गादास ने पुराने शासनादेश को रद्द करने की मांग उठाई है। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती हरीश रावत सरकार के समय इन घाटों को नाले में बदलने वाला शासनादेश जारी किया गया था जो कि श्रद्धालुओं के साथ एक छलावा है। जिसका कि कुंभ मेले पर भी बड़ा असर पड़ेगा। उन्होंने कहा कि गंगा पूजन, दर्शन और श्रद्धालुओं की अटूट आस्था इन प्रवाहित होने वाली सरकार की ओर से घोषित सहायक नदियों पर है। जबकि असल में वह भी मां गंगा के ही मुख्य रूप हैं। उन्होंने कहा कि अगर यह शासनादेश रद्द नहीं किया जाता है तो ऐसी दशा में मुख्यमंत्री को घोर विरोध का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि सरकार इस पर जल्द से जल्द ध्यान दें और गंगा मां के प्रवाह को अविरल बनाये जाने को लेकर कार्य करे। उन्होंने कहा कि इस मामले को लेकर पहले राज्य सरकार से बातचीत की जा रही है। अगर सरकार आनाकानी करती है तो ऐसे में केंद्र सरकार को भी ज्ञापन प्रेषित किया जाएगा और आगे की रणनीति तय की जाएगी।
क्या है मामला :-
राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से 2016 में गंगा और उसकी सहायक नदियों और गंगा तटों को लेकर एक गाइडलाइन जारी की गई थी। गाइडलाइन के अंतिम भाग में सर्वानंद घाट से श्मशान घाट खड़खड़ी व हर की पैड़ी से होते हुए दाम कोठी तक और उसके बाद सती घाट कनखल होते हुए दक्ष मंदिर तक प्रवाहित होने वाले भाग को स्कैप चैनल ( नाला) माना गया था। जिसमें स्पष्ट लिखा गया था कि इस भाग में जल प्रवाह नियंत्रित होने के फलस्वरूप बाढ़ से प्रभावित होने की संभावना नहीं है। अतः मात्र प्रदूषण के विषय पर नदी प्रदूषण को नियंत्रित करने हेतु क्षेत्र में निर्माण की अनुमति और स्थल पर सीवरेज की समुचित व्यवस्था प्राधिकरण स्तर से सुनिश्चित करवाते हुए दी जाएगी। साथ ही शासनादेश में लिखा गया है कि गंगा नदी के किनारे निर्माण और प्रतिबंध से संबंधित पूर्व के शासनादेशों को तत्काल प्रभाव से अवक्रमित किया जाता है।
वहीं संत समाज की चेतावनी के साथ ही आंदोलन की सुगबुगाहटों ने सरकार के अंदर एक हलचल पैदा करने का काम किया है। ऐसे में जब कुम्भ मेला शुरू होने में कुछ ही महीनों का समय बचा है तो सरकार भी चाहेगी की उसे संत समाज के गुस्से का शिकार न होना पड़े और उसकी छवि पर भी कोई असर न पड़े। साथ ही 2022 में होने वाली विधानसभा सीटों के गणित को लेकर सरकार कोई भी कदम फूंक – फूंक कर रखना चाहेगी।