दो इंजीनियर सस्पेंड, जौलजीवी-टनकपुर सड़क निर्माण में हीलाहवाली करने का आरोप

देहरादून। सामरिक महत्व की भारत नेपाल सीमा पर निर्माणाधीन टनकपुर-जौलजीवी मोटरमार्ग के टेंडर में हीलाहवाली करने पर पीडब्ल्यूडी दो इंजीनियरों को निलंबित कर दिया गया है। इनमें से एक पिथौरागढ़ के तत्कालीन सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर मयन पाल सिंह वर्मा हैं, जबकि दूसरे प्रभारी सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर मनोहर सिंह हैं। दोनों इंजीनियरों को प्रथम दृष्टया मोटर मार्ग की टेंडर प्रक्रिया में देर करने का दोषी माना गया है।

टनकपुर जौलजीवी मोटर मार्ग भारत नेपाल सीमा पर है। यह मार्ग भारतीय रक्षा बलों के आवागमन एवं भारतीय सीमा की रक्षा के लिए उपयोग में लाया जाना है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मार्ग निर्माण के लिए करीब 110 करोड़ रुपये की धनराशि सरकार को दी है। विभागीय अधिकारियों के मुताबिक, ठेकेदार दिलीप सिंह को अधिकारियों ने इस मोटर मार्ग का ठेका फर्जी प्रमाण पत्रों के आधार पर दिया था।
जिसकी जांच के बाद उसे निरस्त कर दिया गया था। ठेकेदार ने दोबारा टेंडर निकालने पर कोर्ट से स्टे ले लिया था। विभाग ने स्टे को उच्च न्यायालय में चुनौती दी। कोर्ट ने यह मामला आर्बिट्रल ट्रिब्यूनल को भेज दिया। ट्रिब्यूनल ने यथा स्थिति बनाने के आदेश दिए। यथा स्थिति हटने के बाद तत्कालीन एसई मयन पाल सिंह वर्मा ने 12 दिसंबर 2019 को टेंडर जारी किया। यह टेंडर 24 दिसंबर 2019 तक विभाग के पोर्टल पर अपलोड किए जाने थे, लेकिन एसई ने अपरिहार्य कारणों का उल्लेख करते हुए टेंडर स्थगित कर दिए।
एसई के रूचि न लेने से 12 जनवरी 2020 तक टेंडर प्रक्रिया लटकी रही। 13 जनवरी को प्रभारी एसई मनोहर सिंह ने शुद्धि पत्र जारी कर आखिरी तिथि 19 मार्च 2020 तय की। हार्ड कापी 26 मार्च तक जमा करानी थी, लेकिन 18 मार्च को ही प्रभारी एसई ने फिर शुद्धि पत्र जारी कर अपरिहार्य कारण बताकर अंतिम तिथि 26 मार्च कर दी। इस बीच लॉकडाउन की वजह से टेंडर प्रक्रिया नहीं हो सकी और मोटर मार्ग का निर्माण लटक गया। टेंडर प्रक्रिया में इस हीलाहवाली से ठेकेदार को आर्बिट्रेशन से अवार्ड प्राप्त हुआ। साथ ही मोटर मार्ग का निर्माण नहीं हो सका।

मामला नोटिस में आने के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने विभागीय सचिव को कार्रवाई के निर्देश दिए थे। सीएम के निर्देश के तहत सचिव लोनिवि आरके सुधांशु ने दोनों इंजीनियरों को निलंबित करने का आदेश जारी कर दिया।