स्क्रैप चैनल मामले पर संतों की मांग को मिला हरदा का साथ


संदीप ढौंडियाल
देहरादून। हरकी पैड़ी ब्रह्म कुंड, सर्वानंद घाट से लेकर डैम कोठी और दक्ष मंदिर तक बहने वाली गंगा के भाग को स्क्रैप चैनल से हटा कर मुख्य गंगा घोषित करने की श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन निर्वाण कुंभ मेला प्रबंधक महंत दुर्गादास महाराज जी की मांग को पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का समर्थन मिला है।
मंगलवार को हरिद्वार स्थित महंत दुर्गादास के आश्रम पहुंचकर हरदा ने अपना समर्थन दिया। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के तहत राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल ने मां गंगा जी के 200 मीटर तक सभी निर्माण कार्यों को तोड़ने के आदेश राज्य सरकार को दिए थे। उन्होंने कहा कि इस आदेश से हरिद्वार में भवन ध्वस्त होते। रावत ने कहा कि लोगों ने मेरे पास आकर इस आदेश से बचाव का रास्ता निकालने का आग्रह किया। तब सरकार ने फैसला लिया कि मकानों को ध्वस्तिकरण से बचाने के लिए मां गंगा जी के प्रवाह को एक तकनीकी नाम (स्क्रैप/नाला) दिया जाए। हमारे इस निष्कर्ष के परिणाम स्वरुप ध्वस्तिकरण तो रुक गया मगर एक भावनात्मक गलती हो गई। रावत ने कहा कि स्वाभाविक है कि मां गंगा जिस रूप में भी जहां हैं वह गंगा ही है। हर की पैड़ी पर मां गंगा का पूर्ण स्वरूप है। उन्होंने मांग की है कि सरकारों की निर्णय आने वाली सरकारें बदलती रहती हैं। यदि वर्तमान सरकार हमारी सरकार के निर्णय को बदलती है तो मुझे खुशी होगी।
वहीं इस मामले को लेकर महंत दुर्गादास ने कहा कि सरकार की ओर से अब तक इस मामले में कोई भी वार्ता की पेशकश नहीं की गयी है। उन्होंने हरीश रावत के समर्थन देने वाली बात को लेकर कहा कि सुबह का भूला अगर शाम को घर लौट आए तो उसे भूला नहीं कहते। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती हरीश रावत सरकार के समय घाटों को नाले में बदलने वाला शासनादेश जारी किया गया था। महंत टीएसआर सरकार से पुराने शासनादेश को रद्द करने की मांग उठाई है।

जानिए क्या है पूरा मामला –
राष्ट्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल की ओर से 2016 में गंगा और उसकी सहायक नदियों और गंगा तटों को लेकर एक गाइडलाइन जारी की गई थी। गाइडलाइन के अंतिम भाग में सर्वानंद घाट से श्मशान घाट खड़खड़ी व हर की पैड़ी से होते हुए दाम कोठी तक और उसके बाद सती घाट कनखल होते हुए दक्ष मंदिर तक प्रवाहित होने वाले भाग को स्क्रैप चैनल ( नाला) माना गया था। जिसमें स्पष्ट लिखा गया था कि इस भाग में जल प्रवाह नियंत्रित होने के फलस्वरूप बाढ़ से प्रभावित होने की संभावना नहीं है। अतः मात्र प्रदूषण के विषय पर नदी प्रदूषण को नियंत्रित करने हेतु क्षेत्र में निर्माण की अनुमति और स्थल पर सीवरेज की समुचित व्यवस्था प्राधिकरण स्तर से सुनिश्चित करवाते हुए दी जाएगी। साथ ही शासनादेश में लिखा गया है कि गंगा नदी के किनारे निर्माण और प्रतिबंध से संबंधित पूर्व के शासनादेशों को तत्काल प्रभाव से अवक्रमित किया जाता है।

घाटों को नाला मानने वाले शासनादेश को लेकर हाइकोर्ट में गंगा सभा के सभासद अनमोल वशिष्ट की ओर से जनहित याचिका दायर की गई है। जिसपर कोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किया है और स्पष्टीकरण मांगा है कि आखिर सरकार की नजर में ये घाट स्क्रैप चैनल हैं या फिर गंगा ही है।