विधानसभा में विधान सभा सचिव की स्थाई नियुक्ति एवं कोई भी नियुक्ति निर्धारित चयन प्रक्रिया के तहत किये जाने विजय कुमार बौड़ाई

उत्तराखण्ड विधान सभा मेें विधान सभा सचिव का पद 30 जून 2018 से रिक्त चला आ रहा है जिस पर अभी तक नियुक्ति नहीं की गई है तथा इसी माह शोध अधिकारी को विधान सभा सचिव का पदभार सौंपा गया है जो कि विधान सभा सचिवालय नियामावली का घोर उल्लंघन है। विधान सभा जैसी सर्वोच्च संस्था में नियमों का पालन ना होना दुर्भाग्यपूर्ण है इस सन्दर्भ में महत्वपूर्ण बिन्दु निम्न प्रकार हैं:-
1. उत्तराखण्ड विधान सभा में विधान सभा सचिव का महत्वपूर्ण पद 30 जून 2018 से रिक्त चला आ रहा है।
2. विधान सभा सचिवालय नियमावली अनुरूप उक्त पद पर नियुक्ति हेतु प्रक्रिया रिक्त होने से 6 माह पूर्व शुरू हो जानी चाहिए जो कि अभी तक भी नहीं की गई है।
3. विधान सभा से सेवानिवृत्त श्री जगदीश चन्द्र को पुनः 2 जुलाई 2018 को विधान सभा सचिव पद पर पुनर्नियुक्ति एक वर्ष के लिए कर दी गई जो कि विधि विरूद्ध थी एवं विधान सभा नियमावली के विपरीत थी इसके पश्चात उन्हें लगातार इसी पद पर लगभग 2 वर्ष 6 माह से अधिक तक बनाये रखा गया और अब शोध के पद पर कार्यरत अधिकारी मुकेश सिंघल को सचिव विधान सभा का प्रभार सौंप दिया गया जबकि उक्त श्री मुकेश सिंघल तदर्थ रूप से ही नियुक्त हैं तथा अभी तक स्थाई नहीं हैं। विधान सभा सचिव का उक्त पदभार सौंपा जाना पूर्णतः विधि विरूद्ध एवं विधानसभा नियमावली के विपरीत है।
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4. विधान सभा सचिवालय नियमावली में पुनर्नियुक्ति की कोई व्यवस्था नहीं है जबकि उत्तराखण्ड विधान सभा सचिवालय नियमावली सेवा (तथा सेवा की शर्तें) (संशोधन) नियमावली 2011 के अनुसार सचिवालय पद पर सचिवालय के मौलिक रूप से नियुक्ति अपर सचिवों में से श्रेष्ठता के आधार पर पदोन्नति द्वारा ‘‘परन्तु यह कि पात्र अभ्यर्थी की अनुपलब्धता की दशा में अथवा अपवादिक परिस्थितियों में राज्यपाल, अध्यक्ष के परामर्श से सेवा स्थानान्तरण द्वारा नियुक्त कर सकेगा’’
‘‘परन्तु यह और कि जब तक सचिव के पद हेतु विधान सभा सचिवालय सेवा को कोई पात्र अधिकारी उपलब्ध न हो तो तब तक उच्च न्यायिक सेवा के जिला जज श्रेणी के अधिकारी द्वारा उक्त पद प्रतिनियुक्ति से भरा जा सकेगा’’
5. यह कि विधान सभा सचिव की पुनर्नियुक्ति बिना किसी कानून एवं नियमावली के दे दी गयी जो कि भ्रष्टाचार की प्रकाष्ठा है। सर्वोच्च संस्था में ही इस प्रकार कार्य संचालन होना, पूर्णतया दुर्भाग्यपूर्ण है इसके बाद किसी तदर्थ व्यक्ति को विधान सभा सचिव का प्रभार सौंपा जाना और भी गलत एवं विधि विरूद्ध है।
6. एक शोध अधिकारी को, जो कि अभी तक तदर्थ रूप में नियुक्त है, को विधान सभा सचिव का पदभार देना पूर्णतया नियम विरूद्ध है। जबकि शोध अधिकारी को विधान सभा का सचिव नहीं बनाया जा सकता था क्योंकि विधान सभा सचिव पद हेतु निम्न योग्यता होनी चाहिए:-
‘‘भारत में विधि द्वारा स्थापित किसी विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि, संसद या किसी राज्य के विधान मण्डल के सचिवालय या केन्द्रीय या किसी राज्य सरकार के विधि विभाग में कार्य करने का कम से कम 10 वर्ष का व्यवहारिक अनुभव या संसदीय एवं विधायी प्रक्रिया का व्यवहारिक अनुभव प्राप्त व्यक्ति को वरियता दी जायेगी’’
‘‘लेकिन विधान सभा में उक्त नियमावली की पूर्णतया अंदेखी कर किसी खास व्यक्ति को नियुक्ति प्रदान किया जाना पूर्णतया विधि विरूद्ध है’’
7. यह कि प्रदेश की सर्वोच्च संस्था में नियमों को ताक पर रख कर विधान सभा सचिव पद की भर्ती प्रक्रिया न अपनाया जाना और तदर्थ रूप से शोध एवं सन्दर्भ अधिकारी को विधान सभा सचिव का पदभार सौंपा जाना और भी बेहद गम्भीर मामला है।
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8. यह कि विधान सभा में 2016 में बिना किसी विधिक प्रक्रिया अपनाये बैक डोर से अवैध नियुक्तियां कर दी गयी जो कि पूर्णतया गैरकानूनी हैं तथा संविधान के अनुच्छेद 14एवं 16 तथा संविधान की मूल भावना का हनन हुआ है। इसलिए उक्त नियुक्तियों को तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिया जाना चाहिए।
9. यह कि विधान सभा में पुनः लगभग 50 पदों का सृजन किया गया है जिसमें पूर्व में की गई अवैध नियुक्तियों की भांति पुनः नवसृजित पदों में अवैध नियुक्तियां की जाने की प्रबल सम्भावना है उक्त नव सृजित पदों पर विधिवत् एक चयन प्रक्रिया अपनाकर ही पदों को भरा जाये किसी भी प्रकार चोरी छिपे एवं खास व्यक्तियों को ही नियुक्ति प्रदान न करने का स्पष्ट आदेश विधान सभा अध्यक्ष को दिया जाये।
10. यह कि विधान सभा सचिव पद हेतु नियुक्ति प्रक्रिया शीघ्र अमल में लायी जानी चाहिए स्थाई नियुक्ति तक किसी न्यायिक सेवा के अधिकारी को विधान सभा सचिव की पूर्ण कालिक नियुक्ति तक पदभार दे दिया जाना चाहिए।
11. यह कि यदि उपरोक्त मांग नहीं मानी गई तो उत्तराखण्ड क्रांति दल जनहित में प्रदेश की सर्वोच्च संस्था को बचाने के लिये आन्दोलन करेगा।
12-  माननीय राज्यपाल महोदया को भी पूर्व में दिनांक 30,07,2020, को ज्ञापन सौंप कर आवश्यक कार्यवाही की माँग की गई थी लेकिन अभी तक कोई कार्यवाही  नहीं की गई है।
अतः महोदय से निवेदन है कि विधान सभा सचिव की स्थाई नियुक्ति तक विधान सभा सचिव का पद भार किसी न्यायिक सेवा के अधिकारी को दिये जाने एवं नव सृजित पदों पर एक परदर्शी चयन प्रक्रिया अपनायी जाये एवं सम्भावित अवैध नियुक्तियों पर रोक लगाने के निर्देश विधान सभा अध्यक्ष को देने की कृपा करें।