499 साल बाद दिवाली पर बन रहा है अनोखा संयोग, जाने किस दिन करें लक्ष्मी पूजा

देहरादून:   दिवाली (Diwali 2020) का पर्व रौशनी और खुशियों का प्रतीक है। पांच दिनों तक चलने वाले पर्व की शुरुआत धनतेरस के साथ होती है। इस दिन भगवान धनवंतरी की पूजा की जाती है, लेकिन इस बार 499 साल बाद दिवाली पर अनोखा संयोग पड़ रहा है। जिसके तहत धनतेरस (Dhanteras) और नरक चतुर्दशी (Narak Chaturdashi) यानी छोटी दिवाली का पर्व एक ही दिन पड़ रहा है। इसलिए इस बार 13 नवंबर को धनतेरस के साथ ही शाम को नरक चतुर्दशी की भी पूजा होगी। जबकि 14 नवंबर को स्वाती नक्षत्र में दिवाली की पूजा की जाएगी।    ज्योतिषाचार्यों के अनुसार इस साल त्रयोदशी तिथि 12 नवंबर की रात 9:30 बजे लगेगी, जो 13 नवंबर की शाम 5:59 बजे तक रहेगी। त्रयोदशी उदया तिथि और प्रदोष काल में पड़ रही है। इस वजह से धनतेरस दिवाली के ठीक एक दिन पहले मनाया जाएगा। ऐसा अद्भुत योग 499 साल बाद बन रहा है। इससे पहले ऐसा योग सन 1521 में बना था। चूंकि 13 नवंबर की शाम 5:59 बजे से चतुर्दशी भी लगेगी इसलिए धनतेरस की शाम को ही छोटी दिवाली भी मनाई जाएगी। चतुर्दशी 14 नवंबर की दोपहर 2:18 बजे खत्म होगी। इसके बाद से अमावस्या लग जाएगी।  पंडित कृष्णकांत चतुर्वेदी के अनुसार दिवाली का त्योहार स्वाती नक्षत्र में पड़ रहा है। ये रात 8:20 बजे तक रहेगा। ऐसे में लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त शाम 5:22 बजे से 7:12 बजे तक उत्तम होगा। जो लोग दुकान या कार्यक्षत्र में पूजा करते हैं उनके लिए शुभ समय दोपहर तीन बजे से रात 8:09 बजे तक रहेगा। लक्ष्मी जी की कृपा पाने के लिए भगवान के अष्ट धातु की मूर्ति पूजा लाभदायक होगी। साथ ही पूजन स्थान पर 5 पीली कौड़ियां चढ़ाने से भी मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होगी।