ऐतिहासिक भद्रराज मेले का समापन

मसूरी। बुधवार को ऐतिहासिक भद्रराज मेले का समापन हो गया। इस मेले में जौनसार, पछवादून, जौनपुर, मसूरी, विकासनगर, देहरादून समेत समीपवर्ती ग्रामीण इलाकों से हजारों श्रद्धालुओं ने शिरकत की। इस दौरान श्रद्धालुओं ने भगवान बलभद्र का दुग्धाभिषेक किया। साथ ही दूध, मक्खन और घी से पूजा अर्चना कर अपने परिवार की खुशहाली, पशुधन और फसलों की रक्षा की मनौतियां मांगी।
उत्तराखंड में भगवान बलराम का एकमात्र मंदिर मसूरी से 15 किमी की दूरी पर दुधली भद्रराज पहाड़ी पर स्थित है। यह मंदिर साढ़े सात हजार फीट की ऊंचाई पर है। यहां पर दो दिवसीय पारंपरिक मेला लगा था। जो सांस्कृतिक कार्यक्रमों की रंगारंग प्रस्तुतियों के साथ संपन्न हो गया। इस दौरान श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। भद्रराज मंदिर समिति के अध्यक्ष राजेश नौटियाल ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि दुधली पहाड़ी पर पछवादून व जौनपुर की सिलगांव पट्टी के ग्रामीण चौमासा के दिनों में अपने पशुओं को लेकर उक्त पहाड़ी पर चले जाते थे, लेकिन पहाड़ी पर एक राक्षस उनके पशुओं को खा जाता था। मवेशी पालकों को भी परेशान करता था, जिस पर ग्रामीण भगवान बलराम के पास सहायता के लिए पहुंचे। भगवान बलराम ने ग्रामीणों को मायूस नहीं किया और पहाड़ी पर जाकर राक्षस का अंत कर दिया. इतना ही नहीं चरवाहों के साथ लंबे समय तक पशुओं को भी चराया था। यही वजह है कि ग्रामीणों ने यहां पर भगवान बलराम का मंदिर बनाया और उनकी पूजा शुरू की. जो आज भी जारी है। ऐसी मान्यता है कि भगवान बलभद्र आज भी उनके पशुओं की रक्षा करते हैं।