उत्तराखंड में भी कयर बाजार एवं कयर उद्योग का विस्तार:
:
देहरादून।भारत सरकार द्वारा देश में कयर उद्योग के समग्र एवं सतत विकास के लिए कयर उद्योग अधिनियम, 1953 के तहत कयर बोर्ड की स्थापना की गई थी। अधिनियम के तहत निर्धारित बोर्ड के कार्यों में वैज्ञानिक, तकनीकी और आर्थिक अनुसंधान, आधुनिकीकरण, गुणवत्ता सुधार, मानव संसाधन विकास, बाजार संवर्धन और इस उद्योग में लगे सभी लोगों के कल्याण को शामिल करना, सहायता करना और प्रोत्साहित करना शामिल है बोर्ड का मुख्यालय कयर हाउस, एम.जी. रोड, कोच्चि, केरल और देश भर में 29 मार्केटिंग आउटलेट सहित 48 प्रतिष्ठान चला रहा है। पिछले 60 से अधिक वर्षों से कयर बोर्ड उद्योग का संचालन कर रहा है और यह उद्योग आज देश के ग्रामीण क्षेत्रों के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। कयर उद्योग केरल राज्य में केंद्रित था, जो अब बोर्ड द्वारा किए गए प्रयासों से देश के अन्य हिस्सों में भी फैल गया है।
कयर उद्योग अधिनियम के तहत अनिवार्य कार्यों को कयर बोर्ड द्वारा विभिन्न योजनाओं/कार्यक्रमों के तहत किया जाता है, जिसमें अनुसंधान और विकास गतिविधियां, प्रशिक्षण कार्यक्रम, कॉयर इकाइयों की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करना, घरेलू और निर्यात बाजार विकास, कल्याणकारी उपाय शामिल हैं।
• कयर उद्योग देश के विभन्न राज्यों में 7 लाख से अधिक कयर कामगारों, मुख्य रूप से महिलाओं का भरण-पोषण करता है।
• इस उद्योग में लगभग 80% कार्यबल महिलाएं हैं और यह देश के कई तटीय जिलों के ग्रामीण महिला सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
• देश में कयर के 1570 पंजीकृत निर्यातक हैं।
• पीएमईजीपी (प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम) के तहत देश के विभिन्न राज्यों में कयर इकाइयां शुरू की गई हैं।
• कयर उत्पाद प्राकृतिक एवं पर्यावरण के अनुकूल हैं और इसलिए पर्यावरण और वन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा “इको मार्क” प्रमाणन प्राप्त किया है। और ये कयर उत्पाद:
१. पर्यावरण को बचाते हैं और ग्लोबल वार्मिंग को उलटने में मदद करते हैं।
२. कयर उत्पाद इको फ्रेंडली, पर्यावरण अनुकूल, बायो डिग्रेडेबल तथा सस्ते और टिकाऊ होते है.
३. “कयर जियोटेक्सटाइल्स” का उपयोग भूमि के कटाव एवं सड़क निर्माण में किया जाता है.
४. “कयर वुड” पेड़ों और जंगल को बचाने के लिए प्रयोग किया जाता है.
५. “कयर पीथ” का प्रयोग करने से जल संरक्षण में मदद मिलती है एवं पानी की बचत होती है.
• मिट्टी के कटाव को रोकने के लिए कयर जियोटेक्सटाइल्स के उपयोग, कयर पिथ को एक मूल्यवान जैव-उर्वरक और मिट्टी कंडीशनर में बदलने और कयर गार्डन लेखों जैसे कयर के नए तकनिकी उपयोग ने भारत और विदेशों में लोकप्रियता हासिल की है।
उत्तराखंड में कयर बोर्ड की उपस्थिति।
उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियों एवं तदनुसार रोजगार सृजन के अवसरों में वृद्धि एवं बाजार की संभावनाओं को द्रष्टिगत रखते हुए बोर्ड ने रेसकोर्स देहारादून शोरूम एवं बिक्रिकेन्द्र खोला है, जिसके माध्यम से सम्पूर्ण राज्य में नारियल के रेशों से बनने वाले उत्पादों (कयर उत्पाद) की जानकारी एवं बिक्री एक छत के नीचे की जा रही है | नववर्ष के उपलक्ष मै बोर्ड के देहारादून परिसर मै 10 दिवसीय परदर्शनी का आयोजन भी किया गया है | जिसमे कयर उत्पादों एवं उत्तराखंड की प्रधान मंत्री रोजगार स्रजन कार्यक्रम के अंतर्गत रैजिस्टर्ड यूनिट हर्बल क्लीनिक उत्पाद जोकि अमृत हर्बल द्वारा निर्मित है एवं / ग्रंथि कुटीर बूक स्टोर आदि के भी स्टॉल लगाया गया है | कयर बोर्ड, प्रबंधन आर. एल. तिवारी. ने बताया की समस्त कयर उत्पादो पर 25% की छूट भी दी जा रही है | स्थानीय NGO अरदास सेवा समिति द्वारा इस आयोजन को सफल बनाने मै महत्वपूर्ण योगदान दिया जा रहा है यह मेगा इवैंट 5 जनवरी 2024 तक चलेगा ।
R.L. Tiwari
Manager