मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने शुक्रवार को गैरसैंण में बनने वाली चौरड़ा झील का स्थलीय निरीक्षण किया
। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि गैरसैंण में पेयजल की व्यवस्थाओं के लिए सुनियोजित प्लानिंग की जाय। ग्रीष्मकालीन राजधानी बनने के बाद गैरसैंण एवं उसके आस-पास के क्षेत्रों में सम्भावित आबादी वृद्धि के अनुरूप पेयजल की व्यवस्था की जानी है। रामगंगा पर जो चौरड़ा झील बनायी जा रही है, इस झील से 2070 तक अर्थात अगले 50 साल तक 31 हजार की आबादी को पेयजल आपूर्ति होगी। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि रामगंगा पर बनने वाले बांध का डिजायन इस तरह तैयार किया जाये कि भविष्य में इससे पेयजल की क्षमता में और वृद्धि हो सके।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि इस झील का निर्माण पूर्ण होने से गैरसैंण, भराड़ीसैंण एवं उनके आस-पास के क्षेत्रों में पूर्ण ग्रेविटी का जल उपलब्ध होगा। गैरसैंण में पेयजल की पर्याप्त व्यवस्था हो इसके लिए उन्होंने अधिकारियों को अन्य विकल्प भी तलाशने के निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस बांध की टेंडर प्रक्रिया अप्रेल 2020 में की जायेगी। उसके बाद जल्द कार्य भी शुरू कर दिया जायेगा।
इस अवसर पर विधायक श्री सुरेन्द्र सिंह नेगी, श्रीमती मुन्नी देवी शाह,राज्य स्तरीय पेयजल अनुश्रवण समिति के उपाध्यक्ष श्री रिपुदमन सिंह रावत, सचिव पेयजल डॉ. भूपेन्द्र कौर औलख, जिलाधिकारी चमोली श्रीमती स्वाति भदोरिया एवं अन्य अधिकारी उपस्थित थे।