आजकल पूरी दुनिया में सिर्फ और सिर्फ कोरोना वायरस की चर्चा है।

आजकल पूरी दुनिया में सिर्फ और सिर्फ कोरोना वायरस की चर्चा है। यह पहली बार नहीं है जब कोरोना परिवार के किसी वायरस ने इंसानों में संक्रमण फैलाया हो। अब ज्ञात तौर पर छह तरह के कोरोना वायरस सामने आए हैं। नोवल कोरोना वायरस (एनसीओवी/कोविड-19) कोरोना वायरस परिवार का सातवांवायरस है। इससे पहले एचसीओवी-229-ई और एचसीओवी-एनएल-63 ये दोनों मानव संक्रमण श्रेणी के अल्फा कोरोना वायरस, वहीं एचसीओवी-ओसी-43, एचसीओवी-एचकेयू-1, सार्स और मर्स आदि मानव संक्रमण श्रेणी के बीटा कोरोना वायरस पाए गए हैं।

क्या है कोरोना वायरस
कोरोना वायरस समय-समय पर मानव आबादी में फैलते रहे हैं और वयस्कों और बच्चों में सांस लेने में संक्रमण का कारण बनते हैं। ये मुख्य रूप से सर्दियों और शुरुआती वसंत ऋतु में ही ज्यादा ताकतवर होते हैं।

कोरोना वायरस परिवार
1. एचसीओवी-229-ई
मानव कोरोना वायरस 229-ई (एचसीओवी-229-ई) कोरोना वायरस की एक प्रजाति है जो मनुष्यों और चमगादड़ों को संक्रमित करती है। यह संक्रामक वायरस एक सिंगल-स्ट्रांडेड आरएनए वायरस है जो एपीएन रिसेप्टर के जरिये अपने मनुष्यों की कोशिकाओं में प्रवेश करता है। एचसीओवी-229-ई छोटी-छोटी उल्टी और श्वसन के माध्यम से प्रसारित होता है। इसके लक्षणों में सर्दी-जुकाम से लेकर तेज बुखार जैसे कि निमोनिया और ब्रोन्कोलाइटिस शामिल हैं।

2. एचसीओवी-एनएल-63 
एचसीओवी-एनएल-63 अल्फा कोरोना वायरस की है। इसकी पहचान 2004 के अंत में नीदरलैंड के ब्रोंकोलाइटिस वाले सात महीने के बच्चे में की गई थी। बाद में दुनिया में कई बीमारियों के साथ इसका जुड़ाव सामने आया है। इन बीमारियों में श्वांस नलिका के संक्रमण, क्रुप और ब्रोन्कोलाइटिस शामिल हैं। वायरस मुख्य रूप से छोटे बच्चों, बुजुर्गों और तीव्र श्वसन संबंधी बीमारी के रोगियों में पाया जाता है। एम्स्टर्डम में एक अध्ययन के अनुसार, लगभग 4.7% आम श्वसन रोगों में एचसीओवी-एनएल-63 की उपस्थिति है।
3. एचसीओवी-ओसी-43 
एचसीओवी-229-ई के साथ-साथ, एचसीओवी-ओसी-43 भी एक सामान्य सर्दी का कारक वायरस है। यह वायरस शिशुओं में निमोनिया सहित, श्वसन नलिका संक्रमण पनपाता है। बुजुर्ग और कमजोर इम्यून क्षमता वाले व्यक्तियों जैसे कि कीमोथेरेपी से गुजरने वाले और एचआईवी-एड्स से पीड़ित लोग भी इसके ज्यादा शिकार होते हैं। सर्दी के मौसम में जब हमें जुखाम होता हे तो यह इसी वायरस की बदौलत है।

4. एचसीओवी-एचकेयू-1 
एचसीओवी-एचकेयू-1 को पहली बार जनवरी, 2005 में हांगकांग के एक 71 वर्षीय व्यक्ति में पहचाना गया था, जो कि तीव्र श्वसन समस्या से जूझ रहा था। उसमें रेडियोलॉजिकल रूप से द्विपक्षीय निमोनिया की पुष्टि की गई थी। उस दौरान यह आदमी चीन के शेनझेन से लौटा था।

5. सार्स 
कोरोना वायरस के परिवार का एक पूर्वज वायरस सार्स (सीवियर एक्यूट रिस्पिरेटरी सिंड्रोम) सबसे पहले 2003 में चीन में पाया गया था। यह चमगादड़ों से इंसानों में आया था। इसकी वजह से 2003 में चीन और हांगकांग में करीब 650 लोग मारे गए थे। जांच में पता चला कि यह वायरस चमगादड़ों से इंसानों में आया था।

6. मर्स 
मध्य-पूर्व देशों में मर्स-सीओवी (मिडिल ईस्ट रिस्पिरेटरी सिंड्रोम वायरस) को 2012 में सऊदी अरब में खोजा गया था। यह वायरस कोरोना वायरस परिवार का पूर्वज है। मर्स-सीओवी की वजह से अब तक मध्य-पूर्व के देशों में 800 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। यह वायरस ऊंटों के जरिये इंसानों में आया था।

7. नोवल कोरोना वायरस 
नोवल कोरोना वायरस (कोविड-19) का पहला मामला दिसंबर 2019 में चीन के वुहान में सामने आया था। इसके लक्षणों में बुखार, सर्दी-जुखाम, खांसी, सांस लेने में तकलीफ होती है। ये लक्षण सार्स और मेर्स से काफी मिलते-जुलते हैं। कोविड-19 की अनुवांशिक संरचना 80 फीसदी तक चमगादड़ों में पाए जाने वाले सार्स वायरस जैसी मिली।

कोविड-19 ने चिंता क्यों बढ़ाई
लक्षण जल्दी नहीं दिखते
-हांगकांग यूनिवर्सिटी में क्लिनिकल प्रोफेसर जॉन निकोलस के मुताबिक,नोवल कोरोना वायरस की पुष्टि न होने पर भी खतरा बरकरार है। एक-दो हफ्ते बाद दोबारा जांच जरूरी है, क्योंकि यह वायरस देरी से पनपता है।
-श्वसन तंत्र पर हमला करने वाला कोविड-19 वायरस खांसी, छींक के जरिये छह फीट के दायरे में दूसरे व्यक्ति तक पहुंच सकता है और 14 दिनों तक इसके लक्षण नहीं दिखते।

अन्य वायरस से ज्यादा घातक
-कोविड-19 ने संक्रमण और मौतों के मामले में कोरोना श्रेणी के ही वायरस सार्स को पीछे छोड़ दिया है। 2002-03 में फैले सार्स की चपेट चीन में 5,327 लोग आए थे और दुनियाभर में 750 लोग मारे गए थे।
-इस नए कोरोना वायरस पर काबू पाने की तो अभी कोशिशें ही चल रही हैं जबकि सार्स और मर्स का भी जड़ से उन्मूलन नहीं हुआ है। कई देशों में सालों बाद भी इनके दोबारा सक्रिय होने की आशंका बनी रहती है।

जानवरों में भी आशंका
कोविड-19 से अभी तक जीव-जंतुओं के प्रभावित होने का कोई मामला सामने नहीं आया है। एक शोध के अनुसार अन्य कोरोना वायरस गाय, सूअरों और ऊंट आदि में डायरिया का कारण बनते हैं।