भारत-नेपाल के बीच बढ़ते तनाव

भारत-नेपाल के तराई क्षेत्र में रहने वाले मधेशी व भारतीय लोगों के बीच रोटी बेटी का संबंध है। दोनों देशों के बिगड़ते रिश्तों के बीच इनको आवागमन पर प्रतिबंध लगने का डर सताने लगा है। सबसे ज्यादा डर उन परिवारों को है, जिन्होंने अपने बेटे या बेटियों की शादियां इन दोनों देशों में की है।

नेपाल में संपत्ति के मालिक भी हैं तमाम भारतीय नागरिक

नेपाल सीमा से सटे ग्राम मिश्रौलिया निवासी बिस्मिल्लाह ने बेटी की शादी नेपाल के बटसार महेशपुर जिला नवलपरासी में की है। पहले दोनों देशों में लॉकडाउन और अब नेपाल से बिगड़ते रिश्ते के कारण उनकी बेटी कई महीने से मायके नहीं आ सकी है। अब डर सता रहा कि कहीं आने जाने पर प्रतिबंध न लग जाए। सीमावर्ती बहुआर बाजार में आभूषण की दुकान करने वाले अंबरीश वर्मा का कहना है कि कभी ऐसा नहीं लगा कि भारत नेपाल अलग हैं। उनके ज्यादातर ग्राहक नेपाल के ही हैं। बिगड़ते रिश्तों को देखकर दुख होता है।

भारत व नेपाल के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध है। दोनों देशों के लोगों के बीच व्यापारिक व सामाजिक संबंध भी व्यापक है। सीमा पर स्थिति पूरी तरह से सामान्य है। – डा. उज्ज्वल कुमार, डीएम, महराजगंज 

गोरखा सैनिकों समेत 375 लोग पहुंचे भारत

भारत-नेपाल के नागरिकों का अपने वतन आने का सिलसिला लगातार जारी है। शनिवार को नेपाल के गुल्मी, लुंबिनी, बुटवल, नवलपरासी आदि स्थानों में कार्यरत 335 भारतीय भारत पहुंचे। इसी क्रम में छुट्टियों में अपने निवास स्थान गए। गोरखा रेजिमेंट के 40 सैनिक भी सोनौली सीमा से भारत में प्रवेश किए। जहां प्रवेश द्वार पर चिकित्सकों ने सभी की थर्मल स्‍क्रीनिंग कर आब्रजन कार्यालय में रजिस्ट्रेशन कराया। वहां से बसों से नागरिकों व सैनिकों को गंतव्य की ओर रवाना किया गया।  दूसरी तरफ भारत के विभिन्न हिस्सों में मजदूरी करने वाले 240 नेपाली नागरिक अपने वतन पहुंचे।

गोरखा सैनिकों का नेपाल से भारत वापसी का सिलसिला लगातार जारी है। लॉकडाउन के पूर्व सभी सैनिक छुट्टी मनाने अपने घर नेपाल चले गए थे। उसके बाद सीमा सील होने के कारण वह अपने देश में फंसे थे। हफ्ते भर से आवागमन में ढील मिलने के बाद सीमा के रास्ते उनका आवागम जारी हुआ है। इसी क्रम में नेपाल के गुल्मी, लुंबिनी, बुटवल, नवलपरासी आदि स्थानों में कार्यरत 230 भारतीय सोनौली सीमा से भारत में प्रवेश किए। जहां प्रवेश द्वार पर चिकित्सकों ने सभी की थर्मल स्क्रीङ्क्षनग कर आव्रजन कार्यालय में रजिस्ट्रेशन कराया। दूसरी तरफ भारत के विभिन्न शहरों में कार्यरत 267 नेपाली नागरिक अपने वतन पहुंच गए।