उत्तराखंड में पिछले 24 घंटों में कोरोना के 74 नए मामले सामने आए, अबतक 2418 मामले सामने आ चुके

उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण का प्रसार थमने का नाम नहीं ले रहा है। दिन-ब-दिन मरीजों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। सोमवार को भी प्रदेश में 74 नए मरीज मिले हैं। इसके बाद मरीजों की संख्या 2418 हो गई है। राहत की बात यह है कि कुल संक्रमित मरीजों में से अब तक 1521 (63 फीसद) ठीक हो चुके हैं। जबकि गढ़वाल व कुमाऊं मंडल में अलग-अलग अस्पतालों और कोविड केयर सेंटर में 854 मरीज अभी भर्ती हैं। कोरोना पॉजिटिव 15 मरीज अन्य राज्यों में जा चुके हैं। वहीं, अब तक 28 मरीजों की मौत भी हो चुकी है। इनमें 68 वर्षीय एक व्यक्ति की मौत सोमवार को बेस अस्पताल श्रीनगर में हुई है। उन्हें रुद्रप्रयाग से रेफर किया गया था।

एम्स से मिली जांच रिपोर्ट में दो और लोगों में कोरोना की पुष्टि 

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में जांच के बाद दो लोगों में कोविड की पुष्टि हुई है। इसमें एक व्यक्ति ऋषिकेश में मजदूरी करता है, जबकि दूसरा मरीज सहारनपुर से इलाज के लिए एम्स आया था। एम्स प्रशासन के मुताबिक ऋषिकेश स्टेडियम कॉलोनी वीरभद्र मार्ग में किराए में रहने वाला एक 36 वर्षीय व्यक्ति को बीते रविवार के रोज घबराहट और गले में खराश हुई, जिसपर उसे एम्स लाया। उसकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। वहीं, दूसरा संक्रमित व्यक्ति दूधला थाना गंगोह तहसील नकुड़ जिला सहारनपुर उत्तर प्रदेश का रहने वाला है। यह 46 वर्षीय व्यक्ति सोमवार को एम्स आया था उसे लीवर में दिक्कत थी। उसके दो साथी उसे यहां भर्ती कराने के बाद वापस लौट गए।

ऊधमिसंहनगर में 14 नए मामले 

ऊधमसिंहनगर जिले में एकबार फिर कोरोना संक्रमितों की संख्या में इजाफा हुआ है। कोरोना के 14 नए मरीज सामने आए हैं, जिनमें छह खटीमा, छह किच्छा और दो रुद्रपुर से है। सोमवार को जिले में कुल 29 मरीज सामने आए है। ये सभी अन्य राज्यों से लौटे हैं।

इससे पहले स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार सोमवार को अलग-अलग प्रयोगशालाओं से 1624 सैंपल की जांच रिपोर्ट प्राप्त हुई है, जिनमें 58 मामलों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है। हरिद्वार में 17 और लोग संक्रमित पाए गए हैं। इनमें एक स्वास्थ्य कर्मी और एक स्थानीय व्यक्ति है, जबकि अन्य लखनऊ, फरीदाबाद, बरेली, दिल्ली और पंजाब से लौटे या पूर्व में संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आए लोग हैं। ऊधमसिंहनगर में भी 15 लोगों में कोरोना की पुष्टि हुई है। इनमें एक स्थानीय व्यक्ति है, जिसकी कोई ट्रेवल हिस्ट्री नहीं है। अन्य दिल्ली, नोएडा, रामपुर, मुंबई और गुरुग्राम से वापस लौटे लोग हैं।

अल्मोड़ा में 11 नए मामले आए हैं। इनकी भी ट्रैवल हिस्ट्री अभी पता नहीं लग पाई है। पौड़ी में भी 10 लोग पॉजिटिव मिले हैं। इनमें दो स्थानीय लोग, जबकि अन्य दिल्ली से वापस लौटे हुए हैं। नैनीताल में भी दो और व्यक्ति संक्रमित पाए गए हैं। देहरादून में ओएनजीसी अस्पताल के एक स्वास्थ्य कर्मी सहित दो लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। टिहरी में एक व्यक्ति में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हुई है। जिसकी कोई ट्रेवल हिस्ट्री नहीं है। इधर, विभिन्न अस्पतालों से सोमवार को 21 और लोग स्वस्थ होकर डिस्चार्ज हुए हैं। इनमें हरिद्वार के 10, देहरादून के सात, चमोली के दो, अल्मोड़ा और बागेश्वर के एक-एक मरीज ठीक हुए हैं।

पौड़ी में सौ के पार कोरोना का आंकड़ा 

लंबे समय तक कोरोना संक्रमण से अछूते रहे पर्वतीय क्षेत्रों में भी अब मैदान की तरह कोरोना का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। एक बार कोरोना से मुक्त हो चुके पौड़ी जिले में भी संक्रमितों का सैकड़ा पूरा हो चुका है। टिहरी और अल्मोड़ा के बाद पौड़ी ऐसा तीसरा पर्वतीय जनपद है। सोमवार को पौड़ी में 10 नए मरीज आने के साथ ही यहां कुल संक्रमितों का आंकड़ा 109 पर पहुंच गया। चिंता की बात यह भी है कि पौड़ी में अब तक कोरोना संक्रमित चार लोगों की मौत हो चुकी है।

प्रदेश में कोरोना की दस्तक के 100 दिन बीत चुके हैं। अब स्थिति यह है कि लंबे समय तक संक्रमण से अछूते रहे या एकबारगी कोरोना मुक्त हो चुके जिलों में भी संक्रमित मरीजों का आंकड़ा सौ से अधिक हो चुका है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि प्रदेश के 13 जिलों में से सात ऐसे हैं, जहां कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या एक सौ से अधिक है। इनमे भी देहरादून में सबसे अधिक मरीज हैं। वहीं, टिहरी दूसरे तो नैनीताल तीसरे पायदान पर है। इसके बाद हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर, अल्मोड़ा और पौड़ी हैं।

सीएचसी इमलीखेड़ा तीन दिन के लिए बंद

इमलीखेड़ा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक वार्ड ब्वॉय समेत सात लोगों में कोरोना की पुष्टि हुई है। संक्रमित लोगों में एक टीबी का मरीज भी है। वार्ड ब्वॉय और टीबी के मरीज की कोई ट्रैवल हिस्ट्री न होने से स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ गई है। इसके चलते स्वास्थ्य विभाग ने तीन दिन के लिए इमलीखेड़ा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र को बंद कर दिया है।

चंडीगढ़ स्थित लैब को सैंपल भेजने पर फिलहाल रोक

कोरोना जांच के लिए चंडीगढ़ स्थित लैब, सीएसआइआर इम्टेक को फिलहाल सैंपल नहीं भेजे जाएंगे। इस पर अभी रोक लगा दी गई है। दून के 17 स्वास्थ्य कर्मियों की स्थानीय स्तर पर कराई गई जांच की रिपोर्ट चंडीगढ़ स्थित लैब से अलग आने के बाद यह निर्णय लिया गया है। स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले में सीएसआइआर इम्टेक को पत्र भेजकर स्वास्थ्य कर्मियों की रिपोर्ट पर स्थिति स्पष्ट करने के लिए कहा है। वहां से रिपोर्ट मिलने के बाद ही आगे कोई निर्णय लिया जाएगा।

बता दें कि राज्य से हर दिन तकरीबन 40-50 सैंपल जांच के लिए चंडीगढ़ स्थित लैब भेजे जा रहे थे। बीती 15 जून को जिले से 33 स्वास्थ्य कर्मियों के सैंपल लिए गए थे। जिन्हें जांच के लिए चंडीगढ़ स्थित लैब भेजा गया। शुक्रवार रात इनमें 17 की रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो स्वास्थ्य महकमे में भी हड़कंप मच गया। मुख्य चिकित्साधिकारी ने रिपोर्ट पर संशय जाहिर करते हुए इन सभी की जांच दोबारा कराने की बात कही थी। उनका कहना था कि स्वास्थ्य कर्मी हर स्तर पर एहतियात बरत रहे हैं। इतनी ज्यादा सतर्कता के बाद भी 17 कर्मियों का एक साथ पॉजिटिव पाया जाना संदेहास्पद है। विभाग ने शनिवार को दून मेडिकल कॉलेज की लैब में दोबारा जांच कराई तो सभी की रिपोर्ट निगेटिव आई। यह भी संभव है कि अन्य मामलों में भी इस तरह की गड़बड़ी हुई हो।

रोजाना 800 सैंपलों की होगी जांच

कोविड-19 सैंपलों की जांच में तेजी लाने के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने श्रीनगर मेडिकल कालेज के लिए अत्याधुनिक कोबस 6800 सिस्टम मशीन को खरीदने की स्वीकृति प्रदान कर दी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन से अनुमोदित करीब साढ़े चार करोड़ रुपये की इस मशीन से प्रतिदिन 800 सैंपलों तक की जांच हो सकती है। वर्तमान में श्रीनगर मेडिकल कालेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की कोरोना लैब में दो सौ सैंपलों की ही जांच हो पा रही है।

श्रीनगर मेडिकल कालेज के प्राचार्य प्रोफेसर डॉ. चंद्रमोहन सिंह रावत ने बताया कि यह मशीन आठ घंटे की एक शिफ्ट में 384 सैंपलों का प्रोसेस कर सकती है। डॉ. रावत ने कहा कि यह रियल टाइम पीसीआर मशीन है, जिसके संचालन के लिए मैन पावर की भी कम जरूरत पड़ती है। यह डब्ल्यूएचओ से अनुमोदित है। इससे वक्त भी बचेगा। वहीं, स्वास्थ्य सचिव अमित नेगी का कहना है कि जांच को लेकर किसी भी तरह का संशय नहीं रहना चाहिए, क्योंकि यह बेहद संवेदनशील मामला है। ऐसे में अपर सचिव युगल किशोर पंत की तरफ से लैब को पत्र भेज रिपोर्ट मांगी गई है। तब तक वहां जांच के लिए सैंपल नहीं भेजे जाएंगे।