उत्तराखण्ड को 2025 तक देश का अग्रणी राज्य बनानेः मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाए कि शासन स्तर पर फाइलें अनावश्यक रूप से लम्बित न हों। जो फाइलें रूकी हैं, उनका दुबारा परीक्षण करवाया जाए। अनावश्यक रूप से फाइलें लंबित होने पर संबंधित अधिकारी एवं कर्मचारी की जिम्मेदारी तय की जाए। जनपदों में जिलाधिकारी एवं मुख्य विकास अधिकारी की सरकारी योजनाओं को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह सुनिश्चित किया जाए कि समाज के अंतिम पंक्ति पर खड़े लोगों को केन्द्र एवं राज्य सरकार की योजनाओं का पूरा लाभ मिले। सभी जनपदों के तहसील दिवस और बीडीसी की बैठकें नियमित रूप से की जाए। अधिकारियों का जन सामान्य के साथ अच्छा व्यवहार होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि सुशासन दिवस पर ग्राम चौपाल का आयोजन किया जायेगा, इसमें सभी आई.ए.एस अधिकारी अलग-अलग क्षेत्रों में ग्राम चौपालों में प्रतिभाग करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि कुछ जनपदों में जिलाधिकारियों द्वारा अपने कार्यों के साथ ही अतिरिक्त समय में जन सेवा के कार्य किये जा रहे हैं, यह सराहनीय प्रयास है। उन्होंने कहा कि अधिकारी अपने प्रशासनिक कार्यों के अलावा जिस क्षेत्र में दक्ष हैं, अगर अपनी दक्षता से जन सेवा कर रहे हैं, तो यह राज्य हित में एक अच्छा प्रयास है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2023 में भारत में जी-20 शिखर सम्मेलन होगा। जी-20 से दो दल उत्तराखण्ड भी आयेंगे। इस दौरान हम उत्तराखण्ड के स्थानीय उत्पादों, हस्तशिल्प एवं अन्य क्षेत्रों में क्या कर सकते हैं, इस कांफ्रेंस में इस पर व्यापक चर्चा की जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि आजादी का अमृत काल शुरू हो चुका है, इस अवधि में राज्य में क्या महत्वपूर्ण कार्य हो सकते हैं, इस पर भी मंथन किया जाए। उन्होंने कहा कि समय प्रबंधन पर भी विशेष ध्यान दिया जाए।
मुख्य सचिव डॉ. एस.एस. संधु ने कहा कि आईएएस वीक का मूल मंत्र एक दूसरे को जानना है। इससे एक दूसरे के साथ रहने से जो बॉन्डिंग होती है, यह हमारी कार्यकुशलत बढ़ा देती है। इससे धीरे -धीरे हमारी ऑफिसियल वर्किंग में बहुत सुधार आता है। मुख्य सचिव ने कहा कि अपने कार्यालय में फैमिलियर माहौल बनाने से भी कुशलता बढ़ती है। जिलों में तैनात अधिकारियों से उन्होंने कहा कि जनपद की सड़क, बिजली, पानी की समस्या या आमजन की किसी भी प्रकार की समस्याओं को सुनने के लिए हम कितने संवेदनशील हैं, इससे बहुत फर्क पड़ता है। समस्याओं को दूर करने के लिए समस्याओं को समझना जरूरी है और उसके लिए अधिकारी के मन में आमजन के प्रति संवेदनशील होना जरूरी है। आप उनकी समस्याओं को समझ जाएंगे, और साथ ही यह भी समझ जाएंगे कि इनकी समस्याओं को हल करना आपकी जिम्मेदारी है, तो उस समस्या को हल करने का रास्ता आप निकाल ही लेंगे।
मुख्य सचिव ने कहा कि हमें हमेशा सकारात्मक रहना है। यह हम सभी के लिए, हमारी सर्विस लाईफ और पर्सनल लाईफ दोनों के लिए बेहतर है। उन्होंने कहा कि नियम काम को आसान बनाने के लिए बने हैं। इंटरप्रिटेशन की बात है, कई अधिकारी कर्मचारी नियमों की इस प्रकार व्याख्या करते हैं कि रूल्स में यह नहीं लिखा कि यह हो सकता है, परंतु इसमें व्याख्या इस प्रकार भी तो सकती है कि यह कहां लिखा है कि आप यह नहीं कर सकते हैं। अधिकारी सकारात्मक होगा तो यह कहेगा कि आमजन के लिए लाभप्रद है, और इस काम के लिए रोका नहीं गया है तो किया जा सकता है। हमें सकारात्मक सोच रखनी है। मुख्य सचिव ने कहा कि आपको यदि कोई दिक्कत आती है तो आपके पास वरिष्ठ अधिकारी हैं, आपको लगता है कि इस मामले ने आपको कौन अधिकारी गाइड कर सकता है, उन्हें लेटर लिखने से पहले फोन लगाकर बात कर लें। मैं हमेशा आप लोगों के लिए उपलब्ध हूं।
मुख्य सचिव ने कहा कि हमें अपना दृष्टिकोण सकारात्मक रख कर संवेदनशील रहना है और करियर की शुरूआत में आईएएस ज्वाईन करते समय कुछ कर दिखाने का हम सपना देखते हैं, उसे मरने नहीं देना है। बहुत से ऑफिसर सर्विस ज्वाईन करने के बाद सोचते हैं कि नौकरी में आ गए अब सब खत्म, ये एंड नहीं है, ये बिगिनिंग है।
इस अवसर पर अपर मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन, प्रमुख सचिव आर.के. सुधांशु, एल. फैनई, सचिव आर.मीनाक्षी सुंदरम, शैलेश बगोली एवं अन्य आई.ए.एस अधिकारी उपस्थित थे।