मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय में आयोजित ज्योतिष महाकुंभ कार्यक्रम में प्रतिभाग किया
देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय में आयोजित ज्योतिष महाकुंभ कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने देश के विभिन्न क्षेत्रों से आये ज्योतिषाचार्यों को सम्मानित भी किया। मुख्यमंत्री ने ज्योतिष जैसे प्राचीन ज्ञान पर चर्चा के लिए मंच प्रदान करने के लिए अमर उजाला टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में ज्योतिष शास्त्र का पुराना इतिहास रहा है। देवभूमि उत्तराखण्ड ज्योतिष, धर्म, अध्यात्म, संस्कृति एवं वेदों की भूमि है। इस देवभूमि में अनेक ऋषि मुनियों एवं हमारे पूर्वजों ने यज्ञ किये हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत की महान भूमि ज्ञान, कर्म, उपासना के साथ-साथ लौकिक और अलौकिक विद्याओं और रहस्यों को उजागर करने वाली भूमि है। हमारे ऋषि-मुनियों ने वेदों द्वारा ज्ञान एवं विज्ञान की उपासना का संदेश दिया। वेदों में पूरे ब्रह्माण्ड का रहस्य समाया है और मेरा मानना है कि इस रहस्य को जानने के लिए ज्योतिष शास्त्र को जानना अत्यंत आवश्यक है। वेद, पुराण, उपनिषद आदि महान ग्रंथों को हमें प्रदान करने वाले ऋषि केवल कर्मकांडी मात्र नहीं थे बल्कि महान वैज्ञानिक थे , जिन्होंने मानव की भलाई के लिए नई-नई वैज्ञानिक मान्यताएं स्थापित की। ज्योतिष शास्त्र एक ऐसा नेत्र है जो भूत, भविष्य और वर्तमान तीनों काल को देख सकता है। यह शास्त्र भौतिक, आध्यात्मिक और दैविक विचारों का समन्वय है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें आधुनिक विज्ञान के साथ-साथ “एंसेंट इंडियन नॉलेज सिस्टम“ को भी समझना होगा। आज नासा भी मानने लगा है कि भारतीय ज्योतिष विज्ञान के द्वारा बहुत सी भौगोलिक घटनाओं को भली प्रकार समझा जा सकता है। ज्वार, भाटा, सूर्य ग्रहण ,चंद्र ग्रहण आदि घटनाएं इसके उदाहरण हैं। उन्होंने कहा कि आज का युग कंप्यूटर का युग है, और आज वैज्ञानिकों ने सिद्ध कर दिया कि बोलने वाले कंप्यूटर के लिए जो सर्वश्रेष्ठ भाषा है, वो संस्कृत है। सरकार ने “उत्तराखंड ज्योतिष परिषद“ का भी गठन किया है, जिससे हमारी भावी पीढ़ी भी इस विज्ञान का लाभ उठाएं।
इस अवसर पर राज्यसभा सांसद नरेश बंसल, मेयर सुनील उनियाल गामा, ग्राफिक एरा के संस्थापक कमल घनसाला, अमर उजाला के संपादक दयाशंकर शुक्ल एवं विभिन्न राज्यों से आये ज्योतिषाचार्य उपस्थित थे।