खैट पर्वत की यात्रा किसी परिलोक की यात्रा से कम नही
देहरादून। खैट पर्वत उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल क्षेत्र के टिहरी जिले के घनसाली में स्थित एक प्रसिद्ध पर्वत है। खैट पर्वत को परियों का देश भी कहा जाता है। कहा जाता है कि यहां परियों का निवास स्थान है। खैत पर्वत समुद्र तल से लगभग 10500 फीट की ऊंचाई पर है। खैत पर्वत से मंदार घाटी के खूबसूरत नजारे दिखाई देते हैं और कुछ हिमालय पर्वतमालाएँ भी यहाँ से दिखाई देती हैं।
उत्तराखंड के ऋषिकेश से आप सड़क मार्ग से गढ़वाल क्षेत्र के फेगुलीपट्टी के थात गॉव तक किसी सवारी से पहुंच सकते हैं। यहां से पैदल परियों की नगरी तक यात्रा करनी पड़ती है। थात गांव के पास ही गुंबदाकार का पर्वत है जिसे खैट पर्वत कहते हैं। कहते हैं यहां लोगों को अचानक ही कहीं परियों के दर्शन हो जाते हैं। लोगों का ऐसा मानना है कि परियां आस-पास के गांवों की रक्षा करती हैं।
थात गॉव से करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर खैटखाल नाम का एक मंदिर है जिसे यहां के रहस्यों का केन्द्र माना जाता है। यहां परियों की पूजा होती है और जून के महीने में मेला लगता है।
परियों को चटकीला रंग, शोर और तेज संगीत पसंद नहीं है इसलिए यहां इन बातों की मनाही है। यहां एक जीतू नाम के व्यक्ति की कहानी भी काफी चर्चित है। कहते हैं जीतू की बांसुरी की तान पर आकर्षित होकर परियां उसके सामने आ गईं और उसे अपने साथ ले गईं।
यहां एक रहस्यमयी गुफा भी है जिसके बारे में कहा जाता है कि इसके आदि अंत का पता नहीं चल पाया है। इस स्थान का संबंध महादेव द्वारा अंधकासुर और देवी द्वार शुंभ निशुंभ के वध से भी जोड़ा जाता है। कुछ लोग अलौकिक कन्याओं को योगनियां और वनदेवी भी मानते हैं।
अगर आप रोमांच चाहते हैं तो एक बार जरूर यहां की सैर कर सकते है । यहाँ परियां मिले या ना मिले लेकिन आपका अनुभव किसी परिलोक की यात्रा से कम नहीं होगा।