प्रबंध निदेशक यूजेवीएन लिमिटेड डॉ. संदीप सिंघल द्वारा इंटरनेशनल कमिशन ऑन लार्ज डैम्स (ICOLD) के सम्मेलन में दिया गया प्रस्तुतिकरण
देहरादून। इंटरनेशनल कमिशन ऑन लार्ज डैम्स (International Commission On Large Dams) वृहद बांधों के विभिन्न पहलुओं पर कार्य कर रही एक अंतरराष्ट्रीय संस्था है जो कि बांध अभियांत्रिकी में विभिन्न स्रोतों एवं अध्ययनों से उपलब्ध ज्ञान और अनुभवों को विभिन्न देशों से साझा करती है। संस्था द्वारा इस वर्ष दिनांक 29 सितंबर 2024 से 03 अक्टूबर 2024 तक नई दिल्ली के प्रगति मैदान स्थित भारत मंडपम में बांधों पर एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें 83 देशों के प्रतिनिधियों द्वारा प्रतिभाग किया गया। उक्त आयोजन में यूजीवीएन लिमिटेड द्वारा भी प्रतिभाग किया गया। सम्मेलन में डाॅ. संदीप सिंघल द्वारा “बांध सुधार एवं पुनर्वास” के साथ ही “बांधों के पर्यावरणीय एवं सामाजिक पहलु” विषय पर आधारित दो सत्रों की अध्यक्षता की गई। अपने अध्यक्षीय संबोधन में डॉ. सिंघल ने जानकारी दी कि उत्तराखंड की स्थानीय क्षेत्र विकास कोष नीति के अंतर्गत के अंतर्गत परियोजना परिचालन की संपूर्ण अवधि में एक निश्चित धनराशि वार्षिकी (annuity) के रूप में परियोजना प्रभावित परिवारों को दी जाएगी। साथ ही उन्होंने इस कोष द्वारा परियोजना प्रभावित क्षेत्र के सामुदायिक विकास हेतु किए जाने वाले कार्यों का ब्यौरा भी दिया। उल्लेखनीय है कि डॉ. संदीप सिंघल ने परियोजनाओं के निर्माण एवं परिचालन से परियोजना प्रभावित परिवारों के कल्याण एवं लाभ पहुंचाने विषय पर ही डाॅक्टरेट की उपाधि प्राप्त की है।
इसके साथ ही डॉ. संदीप सिंघल ने यूजेवीएन लिमिटेड द्वारा बांध पुनर्वास एवं पुनरोद्धार परियोजना के द्वितीय चरण के अंतर्गत सीमांत जनपद उत्तरकाशी में स्थित मनेरी भाली द्वितीय जल विद्युत परियोजना के मनेरी बांध के ऊर्जा अपव्यय प्रबंधन पर एक केस स्टडी भी सम्मेलन में प्रस्तुत की। अपने प्रस्तुतिकरण में उन्होंने मनेरी बांध के पानी की निकासी के दौरान पानी के तीव्र वेग से उत्पन्न होने वाली जानपदीय (civil) संरचनाओं की हानियां का ब्यौरा देते हुए बताया कि नदी तल पर जमा रेत, बजरी तथा बोल्डर पानी के तीव्र वेग में, विशेषकर बरसात के दौरान, बहते हुए स्पिल-वे तथा पानी निकासी मार्ग तथा उससे आगे की संरचना को गंभीर नुकसान पहुंचा रहे थे। इससे बांध की सुरक्षा को भी खतरा पैदा हो रहा था। बार बार होने वाले इस नुकसान को कम करने हेतु मनेरी बांध के हाइड्रोलिक मॉडल का अध्ययन किया गया। इस अध्ययन के आधार पर
संरचना के डिजाइन में आवश्यक परिवर्तनों द्वारा समस्या का निदान खोजा गया। इसके अंतर्गत मौजूदा रोलर बकेट के स्थान पर स्किलिंग बेसिन प्रकार की संरचना का निर्माण किया जा रहा है जो कि अप्रैल 2026 तक पूर्ण किया जाना प्रस्तावित है। विश्व बैंक पोषित बांध सुधारीकरण एवं पुनर्वास कार्यक्रम के द्वितीय चरण के अंतर्गत इस कार्य को किया जा रहा है।
इसके साथ ही प्रबंध निदेशक डॉ. संदीप सिंघल ने सम्मेलन में बांध आधारित परियोजनाओं के विकास एवं निर्माण हेतु वित्तपोषण पर भी प्रस्तुतीकरण दिया। अपने प्रस्तुतीकरण में डॉ. सिंघल ने परिकल्प, सामाजिक एवं पर्यावरणीय जोखिमों को कम करने हेतु आवश्यक समस्त अनुमोदन प्राप्त करने के उपरांत समयबद्ध रूप से परियोजना कार्यों को पूर्ण कराए जाएं एवं तदानुसार ही वित्तीय संस्थानों को भी ऋण दरों में छूट की पेशकश करनी चाहिए।
इस अवसर पर प्रबंध निदेशक डॉ. संदीप सिंघल को संयुक्त सचिव जल शक्ति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा सम्मानित भी किया गया।
आईकोल्ड के इस पांच दिवसीय सम्मेलन में यूजीवीएन लिमिटेड के निदेशक परियोजनाएं, अधिशासी निदेशक सिविल, अधिशासी निदेशक परिचालन एवं अनुरक्षण के साथ ही अन्य अधिकारियों ने भी प्रतिभाग किया।