राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान में डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती पर कार्यक्रम आयोजित

देहरादून।

आज राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान, देहरादून में भारत रत्न, संविधान निर्माता, प्रखर विधिवेत्ता, महान समाज सुधारक एवं सामाजिक समरसता के अग्रदूत डॉ. भीमराव अंबेडकर जी की जयंती अत्यंत श्रद्धा एवं गरिमामय वातावरण में मनाई गई। इस अवसर पर मुख्य अतिथि पद्मश्री से सम्मानित उत्तराखंड रत्न डॉ. कल्याण सिंह रावत, विशिष्ट अतिथि डॉ. ममता सिंह एवं संस्थान के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा बाबासाहेब की प्रतिमा पर पुष्पार्चन कर कार्यक्रम का विधिवत शुभारंभ किया गया।

कार्यक्रम के प्रारंभ में समन्वयक डॉ. जसमेर सिंह ने डॉ. आंबेडकर के जीवन को प्रेरणा का स्रोत बताते हुए कहा कि उनका जीवन संघर्ष, शिक्षा, समानता और सशक्तिकरण का आदर्श उदाहरण है।

अपने संबोधन में डॉ. सुरेंद्र ढालवाल ने डॉ. अंबेडकर को भारतीय समाज के व्यक्तित्व निर्माण का शिल्पकार बताते हुए उनके द्वारा प्रदत्त विचारों को आज भी प्रासंगिक बताया। इस अवसर पर संस्थान के इंजी. मनीष वर्मा एवं प्रधानाचार्य श्री अमित शर्मा ने भी बाबासाहेब के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त की तथा उनके विचारों के गूढ़ अर्थों पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम में श्री सतेंद्र शर्मा द्वारा प्रस्तुत कविता ने बाबासाहेब के जीवन एवं संघर्षों को भावपूर्ण रूप में दर्शाया। डॉ. प्रेमानंद मिश्र एवं डॉ. रेड्डी ने संविधान के विभिन्न अनुच्छेदों, प्रावधानों एवं डॉ. आंबेडकर के दृष्टिकोण पर विस्तृत प्रकाश डाला।

डॉ. ममता सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा कि डॉ. आंबेडकर ने न केवल सामाजिक न्याय और समानता की नींव रखी, अपितु भारत के प्राचीन सांस्कृतिक मूल्यों को भी संविधान में समाहित किया। उन्होंने उपस्थित सभी को मूल अधिकारों के साथ-साथ अपने कर्तव्यों के प्रति भी सजग रहने का आह्वान किया। साथ ही उन्होंने सभी को यह संकल्प दिलाया कि हम डॉ. आंबेडकर के विचारों को अपने आचरण और व्यवहार में लाकर उनके सपनों के भारत के निर्माण में सहभागी बनेंगे।

मुख्य अतिथि पद्मश्री डॉ. कल्याण सिंह रावत ने अपने उद्बोधन में कहा कि बाबासाहेब को श्रद्धांजलि केवल शब्दों से नहीं, बल्कि उनके सिद्धांतों को अपनाकर और समाज के हर वर्ग के कल्याण हेतु समर्पित रहकर दी जा सकती है। उन्होंने संविधान को भारत की विविधताओं में एकता का प्रतीक बताया तथा प्रकृति संरक्षण की आवश्यकता पर विशेष बल दिया। उन्होंने यह भी कहा कि प्रत्येक नागरिक को एक मौलिक कर्तव्य के रूप में अपने जीवन में कम से कम 22 वृक्ष अवश्य लगाने चाहिए।

कार्यक्रम का समापन डॉ. विनोद केन द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ। कार्यक्रम का सफल समन्वयन डॉ जसमेर सिंह द्वारा किया गया ।

इस अवसर पर संस्थान के विभिन्न विभागों से अमित शर्मा, इंजी. मनीष वर्मा, डॉ. सुरेंद्र ढालवाल, डॉ. विनोद केन, डॉ. पंकज, श्रीमती पूर्णिमा शर्मा, डॉ. प्रेमानंद मिश्र, डॉ. के. एस. रेड्डी सहित अन्य अधिकारीगण, कर्मचारीगण, प्रशिक्षणार्थी एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे। कार्यक्रम में कुल 150 से अधिक प्रतिभागियों ने सक्रिय रूप से सहभागिता कर आयोजन को सफल बनाया ।