गरीबों, संतों व आश्रमों को लेकर चिंतित महंत दुर्गादास सरकार पर बिफरे
संदीप ढौंडियाल
देहरादून। कुम्भ मेला आयोजन को लेकर एक बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में श्री जगतगुरु शंकराचार्य राज राजेश्वर आश्रम, श्री मां योग शक्ति दिव्य धाम आश्रम ट्रस्टी एवं कोषाध्यक्ष इंद्र मोहन मिश्र, श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन मेला प्रबंधक महंत दुर्गादास जी आदि महाराज मौजूद रहे।
इस मौके पर श्री जगतगुरु शंकराचार्य ने बताया कि कुम्भ मेला की तैयारियों को लेकर सभी साधु संतों, अखाड़ों और तमाम संगठनों को बुलाकर लगातार बात की जा रही है। वहीं बैठक में कुंभ मेले के साथ ही संत समाज व गरीबों पर कोरोना वायरस से हुए प्रभाव को लेकर चर्चा की गयी। देहरादून दर्पण से हुई बातचीत में महंत दुर्गादास ने अपनी बात रखते हुए कहा कि मौजूदा समय में कुम्भ मेला निर्माण कार्यों में तेजी लाने की आवश्यकता है। संत समाज के बारे में बताते हुए महंत ने कहा कि ऐसी भयंकर महामारी जैसी आपदा में सरकारों को आश्रमों की ओर भी ध्यान देना चाहिए। उन्होंने बताया कि लॉक डाउन के चलते तमाम आश्रमों की ओर से भूखों को भोजन उपलब्ध कराया गया। लेकिन आश्रमों के पास आय के कोई साधन नहीं हैं। वहीं कई आश्रम और मंदिर सिर्फ श्रद्धालुओं व भक्तों के दान से ही अपना धर्म निभा रहे हैं। लेकिन इस भयानक महामारी के दौर में आज उनके आगे रोटी का संकट पैदा हो गया है। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकार को लताड लगाते हुए कहा कि सनातनी का दंभ भरने वाली सरकारों को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए। महंत दुर्गा दास ने जोर देते हुए कहा कि आज सरकार को संत समाज के बारे में गंभीरता से सोचने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस तपती गर्मी में गरीब मजदूर वर्ग सड़कों पर लगातार चल रहा है। ऐसे में उन्होंने सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि क्या इनको देख कर मुखियाओं का दिल नहीं पसीज रहा होगा। उन्होंने कहा कि देश – प्रदेश एक विशाल संकट से जूझ रहा है। ऐसे में सरकारों को सभी वर्गों के बारे में सोचने की आवश्यकता है।उन्होंने कहा कि वह पूर्ण रूप से शासन और प्रशासन को अपनी ओर से सहयोग देने को तैयार हैं। लेकिन शासन को चाहिए कि वह संतों की पीड़ा को समझें। उन्होंने राज्य व केंद्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि संत समाज में हुए किसी भी प्रकार की क्षति को संत समाज बर्दास्त नहीं करेगा। ऐसे होने की स्थिति में उन्होंने सरकार को गंभीर परिणाम भुगतने की बात कही। महंत दुर्गादास ने कहा कि यदि संत हितों की रक्षा के लिए उन्हें अपना बलिदान भी देना पड़े तो वह प्रथम पंक्ति में खड़े होंगे। दुर्गादास ने कहा कि आस्था का यह कुम्भ निश्चित ही देवभूमि को अर्थिक रूप से भी मजबूत करेगा। उन्होंने कुम्भ आयोजन तक कोरोना महामारी पर लगाम लगने की उम्मीद जतायी है। बता दें अगले वर्ष 2021 में कुम्भ का आयोजन हरिद्वार में होना है। ऐसे में तमाम तैयारियों को लेकर लगातार बैठकों का दौर जारी है।