गढवाली, कुमाऊँनी को राजभाषा का दर्जा दिलवाने को सबका आगे आएः जितेंद्र
श्रीनगर। धाद लोकभाषा एंकाश गढ़वाल एवं स्वैच्छिक शिक्षक मंच श्रीनगर की ओर से अंतर्राष्ट्रीय लोकभाषा दिवस के अवसर पर सेमीनार व गढ़वाली कवि सम्मेलन का आयोजित किया गया। अजीम प्रेम जी फाउंडेशन श्रीनगर सभागार में हुए कार्यक्रम में बतौर मुख्य वक्ता के रूप में पहुंचे धाद संस्था के मुख्य संस्थापक लोकेश नवानी ने कहा कि साहित्यकारों को दुख, पीड़ा, पलायन जैसे पारंपरिक विषयों से हटकर नए विषयों में लेखन की शुरुआत करनी चाहिए और यह हम प्रत्येक उत्तराखंडी का संकल्प होना चाहिए कि अपने समाज में अपनी मातृभाषा का अधिकतम प्रयोग करें। इस मौके पर मुख्य अतिथि भाजपा मंडल श्रीनगर के अध्यक्ष जितेन्द्र धीरवाण ने लोकभाषा के लिए काम कर रहे सभी साहित्यकारों व प्रबुद्ध जनों की भूरि भूरि प्रशंसा करते हुए लोकभाषा गढवाली, कुमाऊँनी को राजभाषा का दर्जा दिलवाने के लिए सबको मिलकर प्रयास करने पर जोर दिया। इस मौके पर हुए गढ़वाली कवि सम्मेलन में लोकभाषा के चर्चित हस्ताक्षर वीरेन्द्र पंवार जी ने आजकल कविता नि लेखणू छौ.., गढकवि देवेंद्र उनियाल ने कन होदि ब्वे, नौना पर जब चोट लग्द….., आखर संस्था के अध्यक्ष संदीप रावत ने मन कि आंख्यून अप्पते अप्फी देखि सक्दित देखिले.., धाद लोकभाषा एंकाश श्रीनगर की सचिव साईनी कृष्ण उनियाल ने सुपन्या बुण्या छा जू, मन मां पूरा ह्वेगिन…, सोची छौ जु कुछ भी, दिल मां पूरा ह्वेगिन.., लोकभाषा की युवा कवियत्री प्रिया देवली ने सानि सानियो मा बिगोड छोडी दे, मन क दंदोल छोडी दे, आज मेरी छै…., मधुसूदन थपलियाल ने उठ खड उठ अर उठौ सवाल दगडया…, चण्डी प्रसाद बंगवाल ने निर्दयि पराण क्वीत होलु अपणू हे निर्दयी पराण…, .धाद लोकभाषा एंकाश श्रीनगर के अध्यक्ष कमलेश जोशी ने चैमिन खा पीजा खा की कविता पाठ करके वाह वाही लूटी। काव्य गोष्ठी की अध्यक्षता धाद संस्था केन्द्रीय इकाई के महासचिव तन्मय ममंगाई व कमलेश जोशी ने किया। इस मौके पर कार्यक्रम के संयोजक व धाद लोकभाषा एंकाश श्रीनगर इकाई के उपाध्यक्ष महेश गिरि व अजीम प्रेम जी फाउंडेशन के प्रदीप अथ्वाल, माधुरी रावत, प्रदीप अथ्वाल, अजय सेमवाल, मींमासा, राकेश मोहन कण्डारी, राहुल ने सहयोग दिया।